Highlights (उल्लेखनीय बिंदु)
- आगरा के शमसाबाद नामक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ने प्रसूता को मात्र एक घंटे में डिस्चार्ज किया। 
- घर पहुँचने पर महिला को रक्तस्राव शुरू हुआ, पुनः लाया गया लेकिन रेफर कर अस्पताल पहुँचने पर मृत घोषित। 
- परिवार का आरोप — स्टाफ ने कहा, “करवाचाैथ है, किसी परेशानी की बात नहीं” और दी छुट्टी। 
- स्वास्थ्य अधिकारियों ने मामला गंभीर मानते हुए जांच समिति बनाने की बात कही है। 
आगरा, 11–12 अक्टूबर 2025 | उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने चिकित्सा व्यवस्था और संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय शमसाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ने एक प्रसूता (गर्भवती महिला) को केवल एक घंटे बाद में अस्पताल से छुट्टी दे दी। जब महिला घर पहुंची, तबीयत बिगड़ी और रक्तस्राव शुरू हो गया। पुनः स्वास्थ्य केंद्र लाने पर उसका लेडी लायल अस्पताल भेजा गया, लेकिन वहां इलाज संभव न हो पाया और महिला को मृत घोषित कर दिया गया।
घटना की विवरणिका
परिवार का कहना है कि गीता देवी (20 वर्ष) नाम की महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर शाम करीब 7 बजे शमसाबाद सीएचसी में भर्ती कराया गया। वहाँ उसने सफल रूप से एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन एक घंटे बाद ही स्टाफ ने उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी — उनका तर्क था कि “उनका करवाचाैथ व्रत है, किसी समस्या की बात नहीं है, घर ले जाओ।”
घर लौटने के थोड़ी देर बाद ही महिला का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और वह रक्तस्राव करने लगी। परिवार ने तुरंत उसे वापस स्वास्थ्य केंद्र ले जाया। वहाँ की स्थिति गंभीर देखी गई और 102 एम्बुलेंस सेवा द्वारा लेडी लायल अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। लेकिन वहां उन्हें भर्ती नहीं किया गया और अंततः निजी अस्पताल ले जाने पर मरीज को मृत घोषित कर दिया गया।
परिजनों का आरोप और प्रतिक्रिया
परिजनों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य केंद्र स्टाफ ने उनकी भूमिका को धार्मिक व्रत की स्थिति से जोड़कर अनावश्यक निर्णय लिया। वे कहते हैं कि अगर समय रहते उचित देखभाल की होती तो यह दुखद परिणाम नहीं होता। ससुर पप्पू का कहना है कि “करवाचाैथ के नाम पर पुत्रवधू को जबरन डिस्चार्ज किया गया” और अगर लेडी लायल अस्पताल में समय रहते भर्ती किया गया होता तो जान बच सकती थी।
स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डॉ. बी.के. सोनी ने कहा कि परिजन महिला को घर ले गए थे, बाद में जब शिकायत हुई, तब जांच की जाएगी। लेडी लायल अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डॉ. रचना गुप्ता ने भी कहा कि मामले की जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
नियमों की अनदेखी या गंभीर चूक?
स्वास्थ्य सेवा प्रोटोकॉल के अनुसार, सामान्य प्रसव (normal delivery) के बाद अपेक्षाकृत 24–48 घंटे तक अस्पताल में देखभाल बनाए रखना चाहिए, ताकि जटिलताएं (रक्तस्राव, संक्रमण आदि) समय रहते निपटाई जा सकें। लेकिन इस मामले में केवल एक घंटे बाद डिस्चार्ज करना, और फिर महिला को गंभीर हालत में छोड़ देना एक बड़ी चूक माना जा सकता है।
इस तरह की घटना यह संकेत देती है कि अस्पतालों में मानव संवेदनशीलता, लक्ष्य व_protocols और प्रबंधन की जिम्मेदारी को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है — चाहे वह स्टाफ की समझ की कमी हो, संसाधन की कमी हो, या दबाव हो।
निदान और कार्रवाई
आगरा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एक जांच समिति गठित करने की घोषणा की है। सदस्यों में CHC शमसाबाद के प्रभारी स्टाफ, लेडी लायल अस्पताल तथा 102 एंबुलेंस सेवा के प्रतिनिधि शामिल होंगे। दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की बात कही गई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने बताया है कि सामान्य प्रसव के बाद 48 घंटे तक अस्पताल में रखना आवश्यक है और इस मामले में चूक हुई है। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक और मानवीय प्रभाव
यह मामला स्वास्थ्य व्यवस्था में एक बड़े विश्वास संकट को उजागर करता है। बीमारी, प्रसव, मातृत्व — ये ऐसे क्षेत्रों हैं जहां संवेदनशीलता और देखभाल अनिवार्य है।
जब अस्पताल “करवाचाैथ व्रत” जैसे धार्मिक संदर्भों को इलाज की प्राथमिकताओं पर हावी होने देते हैं, तो यह न केवल दायित्व की अनदेखी है, बल्कि मानव जीवन की अनमोलता को नजरअंदाज करना है।

































































































































































































































































































































































































































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