दिल्ली की 48 वर्षीय महिला ने अपनी सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए रोज़ाना मॉर्निंग वॉक को आदत बना रखा था। वह फैट-फ्री और हेल्दी डाइट भी लेती थी। इसके बावजूद जब उसने ब्लड टेस्ट कराया तो शुगर लेवल काफी हाई निकला। यह नतीजा उसके लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि वह मान रही थी कि व्यायाम और डाइटिंग से उसे डायबिटीज का खतरा नहीं होगा।
आखिर गलती कहाँ हुई?
डॉक्टरों की जांच में सामने आया कि महिला ने अपनी सेहत से जुड़े कुछ अहम पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया था –
- स्ट्रेस लेवल की अनदेखी 
 रोज़ाना तनाव (काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों से जुड़ा) उसके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा रहा था।
- नींद की कमी 
 महिला औसतन 5-6 घंटे ही सो पाती थी, जबकि वयस्कों को 7-8 घंटे की नींद ज़रूरी है।
 अपर्याप्त नींद इंसुलिन रेज़िस्टेंस को बढ़ा सकती है।
- जेनेटिक फैक्टर (वंशानुगत कारण) 
 परिवार में पहले से डायबिटीज के मामले थे। उसने इसे हल्के में लिया और समय रहते एडवांस चेकअप नहीं कराया।
- हिडन शुगर का सेवन 
 हेल्दी दिखने वाले कई पैक्ड फूड (जैसे जूस, डाइट स्नैक्स, प्रोटीन बार) में हिडन शुगर मौजूद थी। वह नियमित रूप से इनका सेवन करती थी।
डॉक्टरों की राय
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट्स के मुताबिक –
- केवल वॉक और डाइटिंग से ब्लड शुगर पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता। 
- स्ट्रेस मैनेजमेंट, नींद की गुणवत्ता, और नियमित हेल्थ चेकअप उतने ही ज़रूरी हैं। 
- खासकर 40 की उम्र के बाद हर व्यक्ति को HbA1c टेस्ट और ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट साल में एक बार जरूर कराना चाहिए। 
इस मामले से सीख
- संतुलित जीवनशैली में वॉक और डाइट के साथ-साथ तनाव नियंत्रण, पर्याप्त नींद और समय पर टेस्ट भी शामिल होने चाहिए। 
- डायबिटीज केवल खाने-पीने से नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और जेनेटिक फैक्टर्स से भी प्रभावित होती है। 
- महिलाओं को खासकर 40+ उम्र में अपनी सेहत के प्रति और सतर्क रहने की जरूरत 


























































































































































































































































































































































































































