कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रही है। जलभराव और बिजली कटौती के बीच शहर में कई दर्दनाक हादसे हुए, जिनमें करंट लगने से लोगों की जान चली गई। इस मुद्दे पर अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिजली आपूर्ति करने वाली निजी कंपनी CESC (Calcutta Electric Supply Corporation) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
⚡ ममता बनर्जी का आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि CESC की लापरवाही के कारण शहर में करंट लगने से मौतें हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी ने समय पर सुरक्षा उपाय नहीं किए और बिजली आपूर्ति रोकने में भी लापरवाही बरती, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ी।
ममता ने स्पष्ट कहा,
“यह कंपनी सिर्फ मुनाफा कमाने में लगी है, जबकि जनता की सुरक्षा को नजरअंदाज कर रही है। राज्य सरकार ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।”
🔌 CESC का पलटवार
CESC ने तुरंत ही सरकार के आरोपों को खारिज किया। कंपनी के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि बिजली कटौती और सुरक्षा उपायों में कंपनी ने पूरी जिम्मेदारी निभाई है। उनका कहना है कि बाढ़ जैसी स्थिति में बिजली आपूर्ति रोकना ही लोगों की सुरक्षा का एकमात्र उपाय है।
CESC ने उल्टा आरोप लगाया कि नगर निगम और राज्य सरकार की लापरवाही के कारण शहर में जलभराव की स्थिति पैदा हुई। यदि जलनिकासी का उचित प्रबंधन होता तो ऐसे हादसों को टाला जा सकता था।
🏙️ बाढ़ और जनता की परेशानी
लगातार बारिश ने कोलकाता की सड़कों को तालाब बना दिया है। कई इलाकों में कमर तक पानी भर चुका है।
- स्कूल और कॉलेज बंद करने पड़े। 
- आम लोग घंटों जाम में फंसे रहे। 
- पानी में डूबे बिजली के खंभे और तार लोगों की जान के लिए खतरा बन गए। 
इन हालातों में प्रशासन और CESC दोनों की ओर से आपसी तकरार ने आम जनता की परेशानी और बढ़ा दी है।
🔎 राजनीतिक तकरार और जिम्मेदारी का सवाल
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद केवल सत्ता और निजी कंपनी के बीच जिम्मेदारी टालने का खेल है। असली सवाल यह है कि आखिर बार-बार होने वाली ऐसी त्रासदियों से निपटने के लिए कोई ठोस व्यवस्था क्यों नहीं बनाई जाती।
👉 निष्कर्ष
कोलकाता की बाढ़ ने शहर की अव्यवस्था और प्रशासनिक कमियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बिजली कंपनी CESC को जिम्मेदार ठहरा रही हैं, वहीं कंपनी ने सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच सबसे ज्यादा प्रभावित आम जनता है, जो जलभराव और असुरक्षित माहौल में अपनी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद कर रही है।
























































































































































































































































































































































































































