देवरिया: जिला मुख्यालय के गोरखपुर ओवरब्रिज के नीचे की एक जमीन… जिस पर मजार भी है और कब्रिस्तान भी। यह भूमि लंबे समय से विवादों के घेरे में है, और अब इस पर ‘धार्मिक स्थल’ का दावा करने वालों और ‘राजस्व विभाग’ के बीच कानूनी जंग छिड़ गई है।
मामला देवरिया के एसडीएम कोर्ट में पहुंचा, जहां अब्दुल गनी शाह मजार व कब्रिस्तान समिति ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। समिति ने अपने दावे को मजबूत करने के लिए एक ऐसा दस्तावेज पेश किया, जिसने मामले को और भी दिलचस्प बना दिया है—साल 1919 का एक राजस्व अभिलेख!
कोर्ट में पेश हुआ 106 साल पुराना प्रमाण
समिति के सदस्यों ने कोर्ट में राजस्व अभिलेख (लैंड मानचित्र) की प्रमाणित प्रति दाखिल की, जो बताती है कि यह भूमि ‘नान जेडे’ है। समिति का तर्क है कि यह जमीन कोई सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति नहीं, बल्कि बरसों से एक पारंपरिक धार्मिक स्थल के तौर पर इस्तेमाल हो रही है।
वहीं, दूसरी ओर राजस्व विभाग और प्रतिवादी पक्ष भी अपने तर्कों के साथ मौजूद थे। यह पूरा विवाद राजस्व संहिता की धारा 7 के तहत भूमि उपयोग और अतिक्रमण से जुड़ा है।
अब 23 अक्टूबर पर टिकी निगाहें
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, एसडीएम देवरिया ने साफ कहा कि पेश किए गए दस्तावेजों की गहन जांच करना जरूरी है। एसडीएम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की है।
एसडीएम ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई में दोनों पक्ष अपने सभी दस्तावेजों और मजबूत दलीलों के साथ उपस्थित रहें, क्योंकि इस दिन नोटिस और प्रत्युत्तर पर अंतिम बहस पूरी की जाएगी, जिसके बाद ही प्रशासनिक आदेश पारित होने की संभावना है।
ओवरब्रिज के नीचे स्थित होने के कारण यह जमीन पहले से ही संवेदनशील मानी जाती है, और अब इस कानूनी पेच के कारण स्थानीय लोगों में भी इस प्रकरण को लेकर चर्चा गर्म है।
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