🔴 मुख्य बिंदु (Highlights)
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में सभी सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने का आदेश दिया
- राज्य सरकार को 90 दिनों के भीतर पूरी कार्रवाई पूरी करने के निर्देश
- मुख्य सचिव से कहा गया— हर जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करें
- अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश
- सरकारी संपत्ति पर अवैध निर्माण और कब्जे पर कोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी
जागृत भारत | इलाहाबाद, 14 अक्टूबर 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा आदेश जारी करते हुए राज्यभर की सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे 90 दिनों के भीतर हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में कहा गया था कि राज्य के कई जिलों में सरकारी भूमि पर बड़े पैमाने पर कब्जे हो चुके हैं और प्रशासन की लापरवाही के कारण यह समस्या लगातार बढ़ रही है।
मुख्य सचिव को सौंपी गई जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे सभी जिलों के जिलाधिकारियों और संबंधित अधिकारियों को आदेश जारी करें। साथ ही प्रत्येक जिले में एक जिम्मेदार अधिकारी नामित किया जाए, जो इस कार्रवाई की निगरानी करेगा और साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा।
कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी सरकारी भूमि पर कब्जा बरकरार न रहे। यदि कहीं भी अवैध निर्माण पाया जाता है, तो उसे तुरंत हटाया जाए और दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।
हर जिले से मांगी जाएगी रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार तीन महीने के भीतर इस अभियान की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करे। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाए कि किन जिलों में कितनी जमीनों से कब्जे हटाए गए और किन अधिकारियों की निगरानी में कार्रवाई हुई। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी जिले में कार्रवाई में लापरवाही या देरी पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जाएगी।
सरकारी संपत्ति की सुरक्षा पर जोर
न्यायालय ने टिप्पणी की कि सरकारी भूमि जनता की संपत्ति है और इस पर कब्जा किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में राजनीतिक प्रभाव या स्थानीय दबाव को देखते हुए कार्रवाई में देरी करना शासन-प्रशासन की जवाबदेही को कमजोर करता है।
स्थानीय निकायों को भी जारी होगा निर्देश
कोर्ट ने यह भी कहा कि नगर निगम, नगर पालिका और ग्राम पंचायत स्तर पर भी इस आदेश की प्रति भेजी जाए ताकि निचले स्तर पर भी सरकारी जमीनों की निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
राज्यव्यापी अभियान की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस आदेश के बाद एक राज्यव्यापी अभियान चलाने की तैयारी कर रही है। सभी जिलों में विशेष टीमें गठित की जाएंगी जो कब्जा हटाने की कार्रवाई को तय समय सीमा के भीतर पूरा करेंगी।
इस आदेश को यूपी में भूमि प्रबंधन और शासन की पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


























































































































































































































































































































































































































