नई दिल्ली, तिहाड़ जेल में रिश्वत और वसूली के आरोपों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ा कदम उठाते हुए पांच जेलकर्मियों और तीन कैदियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि इन लोगों ने जेल के अंदर बंद कैदियों से सुविधाएं देने के नाम पर रिश्वत ली और “सुरक्षा” के नाम पर पैसे की वसूली की।
इस मामले में आरोपी जेलकर्मियों में जेल नंबर 8 और 9 के तत्कालीन सहायक अधीक्षक राजेश, पवन और अमित, हेड वार्डर अजीत पासवान, और वार्डर राकेश चौहान शामिल हैं। वहीं, कैदियों में अज्जारुद्दीन, राहुल गुप्ता और मोहित के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य अज्ञात अधिकारियों और व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
🔹 हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई जांच
यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ था। दरअसल, एक कैदी मोहित कुमार गोयल ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि तिहाड़ जेल नंबर 8 और 9 में कुछ अधिकारी और कैदी उसे “प्रोटेक्शन मनी” देने के लिए मजबूर कर रहे थे। जब उसने पैसे देने से इंकार किया, तो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
मोहित कुमार को 4 जून 2024 से 8 अगस्त 2024 तक न्यायिक हिरासत में रखा गया था। उसने आरोप लगाया कि जेल के अंदर चल रहे इस रैकेट में जेलकर्मी और कैदी मिलकर कैदियों से जबरन पैसे वसूलते थे। पैसे न देने पर कैदियों और उनके परिवारों को धमकाया जाता था।
🔹 जेल के अंदर रिश्वत के बदले विशेष सुविधाएं
FIR के अनुसार, आरोपी अधिकारियों ने जेल में बंद कैदियों को बेहतर सुविधाएं देने के बदले रिश्वत ली। इन सुविधाओं में — मोबाइल फोन और लैंडलाइन का गैरकानूनी उपयोग, बाहर का खाना और तंबाकू, ढीली निगरानी और जेल में विशेष छूट — शामिल थे।
CBI की जांच में सामने आया कि पीड़ित कैदी को लंबे समय तक प्रताड़ना झेलने के बाद ₹12 से ₹15 लाख तक की रकम देनी पड़ी। यह रकम कैदियों के परिजनों और दोस्तों के UPI खातों में ट्रांसफर की गई और फिर “लेयरिंग” के जरिए अन्य खातों में भेजी गई। बाद में यह राशि नकद के रूप में जेल अधिकारियों तक पहुंचाई जाती थी, चाहे वो “मुलाकात” के दौरान हो या उनके घर पर।
🔹 कैदियों के परिवारों तक फैला नेटवर्क
जांच एजेंसी ने पाया कि यह रिश्वतखोरी और वसूली का जाल जेल की चारदीवारी से बाहर तक फैला हुआ था। कैदियों के परिवारों को भी पैसे देने के लिए धमकाया जाता था। कुछ परिवार के सदस्य खुद भी वसूली में मदद करते थे ताकि अन्य कैदी झुक जाएं।
🔹 मोबाइल और लैंडलाइन का दुरुपयोग
FIR के मुताबिक, कैदियों को जेल नंबर 8 और 9 में लगे लैंडलाइन फोन का उपयोग करने की विशेष अनुमति “रिश्वत” के बदले दी जाती थी। पीड़ित कैदी ने खुद 463 कॉल इसी नंबर से की थीं।
इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया कि एक मोबाइल नंबर कैदियों को दिया गया था, जिससे उन्होंने जून 2024 से दिसंबर 2024 के बीच हजारों अवैध कॉल अपने परिवारों को कीं।
🔹 हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी और CBI की कार्रवाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने इन गंभीर आरोपों पर संज्ञान लेते हुए तिहाड़ जेल के इंस्पेक्टिंग जज से जांच रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद अदालत ने CBI को प्राथमिक जांच के आदेश दिए। इसके बाद दिल्ली सरकार ने कम से कम नौ जेल अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
CBI की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि आरोपी अधिकारियों ने कैदियों से अवैध लाभ प्राप्त किए, जिनमें सुविधाएं, फोन की पहुंच, महंगा भोजन, और जेल में विशेष छूट जैसी चीजें शामिल थीं।
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