उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के महिला अस्पताल से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें एक गर्भवती मुस्लिम महिला ने आरोप लगाया है कि एक महिला डॉक्टर ने उसके धर्म के आधार पर इलाज करने से इंकार कर दिया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद राजनीतिक हलकों में जोरदार हंगामा मच गया है।
वीडियो में शमा परवीन, जो जौनपुर जिले के चंदवक क्षेत्र की निवासी हैं, ने दावा किया कि वह प्रसव पीड़ा के चलते कुछ दिन पहले जिला महिला अस्पताल पहुंची थीं। उन्होंने कहा,
“डॉक्टर ने कहा कि मैं मुस्लिम का इलाज नहीं करूंगी। रात करीब साढ़े 9 बजे की बात है। मेरी डिलीवरी नहीं कराई गई। डॉक्टर ने कहा कि ‘मैं डिलीवरी नहीं करूंगी’। एक और मुस्लिम मरीज का भी इलाज नहीं किया गया। डॉक्टर ने नर्स को कहा कि इसे ऑपरेशन थियेटर में मत लाना, कहीं और ले जाओ।”
वीडियो के वायरल होने के बाद जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) और अस्पताल प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
🗳 विपक्ष का हमला — “नफरत की राजनीति का नतीजा”
विपक्षी दलों ने इस घटना को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विभाजनकारी और सांप्रदायिक राजनीति का परिणाम बताया है।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा,
“ऐसा व्यवहार किसी सभ्य समाज में अस्वीकार्य है और चिकित्सा पेशे की नैतिकता के खिलाफ है। यह भाजपा की लगातार फैलती नफरत की राजनीति से पैदा हुई गहरी सामाजिक दरार का नतीजा है। जब सरकारी तंत्र ही अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और क्रूरता कर रहा है, तो समाज और बंटेगा। एक ओर फतेहपुर में असामाजिक तत्वों को पुराने मकबरे को तोड़ने और कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों को नुकसान पहुंचाने की खुली छूट है, वहीं दूसरी ओर पूरे यूपी में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।”
📢 समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद अफजाल अंसारी ने घटना की जांच की मांग की। उन्होंने कहा,
“वीडियो की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ है, तो यह अकल्पनीय है, क्योंकि डॉक्टरों को समाज में सबसे अधिक सम्मान दिया जाता है और उन्हें मरीजों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। लेकिन यह मामला यूपी में उभरते उस बड़े पैटर्न की ओर इशारा करता है जहां सत्ता में बैठे लोग एक खास समुदाय को निशाना बना रहे हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा,
“हमने हाल ही में देखा कि ग्राम सभा की जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश में विशेष रूप से यादव और मुस्लिम समुदाय का उल्लेख किया गया था। जब शीर्ष स्तर पर बैठे लोग समाज के एक वर्ग के खिलाफ जहर उगलते हैं, तो यह निचले स्तर तक असर डालता है। न्यायपालिका को भी इस तरह की भाषा और समुदाय विशेष को निशाना बनाए जाने पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।”
⚖️ प्रशासन की चुप्पी, जांच की मांग तेज
घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने पूरे प्रदेश में गुस्से और चिंता की लहर फैला दी है। विपक्ष ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आरोपों में कितनी सच्चाई है।
























































































































































































































































































































































































































