इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर स्थित मदरसा अरबिया शमशुल उलूम, सिकरीगंज, एहटा नवाब के लिए प्रबंधक की ओर से निकाले गए शिक्षक और क्लर्क भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने मदरसा की प्रबंध कमेटी व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में पाया कि प्रबंधक द्वारा विज्ञापन जारी करना सरकारी नीति और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पूर्ण उल्लंघन था।
सरकारी निर्देशों के उल्लंघन का आधार
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट को दलील दी कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में नई नियुक्तियों पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया था कि शिक्षकों की योग्यता का विषयवार/कक्षावार पुन:निर्धारण होने के बाद ही नई भर्तियाँ की जाएं। अल्पसंख्यक कल्याण, उत्तर प्रदेश के निदेशक और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने भी संस्थाओं को इन निर्देशों का पालन करने और नई नियुक्तियां न करने का स्पष्ट निर्देश दिया था। इसके बावजूद, प्रतिवादी संख्या-4 (प्रबंधक) ने इन निर्देशों की अनदेखी करते हुए विज्ञापन प्रकाशित कराया।
विज्ञापन और चयन प्रक्रिया का विवरण
प्रतिवादी संख्या चार (प्रबंधक) ने 29 अप्रैल 2025 को एक समाचार पत्र में पाँच सहायक अध्यापक (ताहतानिया) और एक क्लर्क के पद के लिए चयन संबंधी विज्ञापन प्रकाशित कराया था। इस विज्ञापन के तहत 28 मई 2025 को साक्षात्कार पत्र जारी कर 14 जून 2025 को साक्षात्कार की तिथि निर्धारित की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी संख्या-4 पर धोखाधड़ी से प्रबंधक का पद हासिल करने का भी आरोप लगाया था।
कोर्ट का अंतिम फैसला
सभी पक्षों को सुनने के बाद, कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि प्रतिवादी संख्या-4 द्वारा भर्ती विज्ञापन जारी करना स्पष्ट रूप से सरकारी नीति का उल्लंघन था। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जारी किए गए उक्त भर्ती विज्ञापन को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।
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