वॉशिंगटन। अमेरिका की एक संघीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन की उस विवादास्पद नीति में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है जिसके तहत पश्चिम अफ्रीका के कई नागरिकों को घाना निर्वासित (Deport) किया जा रहा है।
अमेरिकी जिला न्यायाधीश तान्या चुटकन (Tanya Chutkan) ने कहा कि प्रशासन की यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र के “कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर” (UN Convention Against Torture) के प्रावधानों को दरकिनार करने जैसी प्रतीत होती है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में उनके “हाथ बंधे हुए हैं” और वे कानूनी रूप से ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय को रोकने में असमर्थ हैं।
अदालत की टिप्पणी
न्यायाधीश चुटकन ने सुनवाई के दौरान कहा, “मुझे यह चिंता है कि सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के विपरीत हो सकती है। लेकिन मेरी अधिकार-सीमा इस स्तर पर प्रशासनिक फैसले में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देती।”
निर्वासन विवाद
- ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका में आव्रजन (Immigration) नीतियों को लेकर कई कठोर कदम उठाए गए। 
- पश्चिम अफ्रीका के उन नागरिकों को, जो वर्षों से अमेरिका में रह रहे थे लेकिन कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं थी, अब घाना भेजा जा रहा है। 
- मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि निर्वासन से प्रभावित लोगों को घाना में उत्पीड़न और प्रताड़ना का सामना करना पड़ सकता है। 
अंतरराष्ट्रीय दबाव
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि निर्वासन प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र संधियों के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो यह अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।






























































































































































































































































































































































































































