जागृत भारत | गोरखपुर (Gorakhpur): गोरखपुर सहित पूरे पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण (Privatization) के विरोध में बिजली कर्मियों का आंदोलन चरम पर पहुँच गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में यह आंदोलन लगातार 332 दिन से चल रहा है। शनिवार को कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया और निजीकरण की साजिश को सफल नहीं होने देने के लिए सामूहिक जेल भरो सत्याग्रह करने का संकल्प लिया। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि घाटे के झूठे आंकड़े और दमन के बावजूद कर्मी निजीकरण का विरोध जारी रखेंगे।
सामूहिक ‘जेल भरो’ आंदोलन की चेतावनी
चेतावनी: संघर्ष समिति ने प्रबंधन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण का टेंडर जारी किया गया, तो गोरखपुर सहित पूरे प्रदेश में सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा। समिति ने कहा है कि आंदोलन के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति या जिम्मेदारी का वहन पूरी तरह से पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन द्वारा किया जाएगा।
गोपनीय टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर आरोप
संघर्ष समिति ने निजीकरण की टेंडर प्रक्रिया को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं:
- गोपनीयता: पदाधिकारियों ने बताया कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया अत्यधिक गोपनीय रखी जाएगी।
- विभाजन: पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों को पाँच हिस्सों में विभाजित कर पाँच अलग-अलग टेंडर जारी किए जाएंगे।
- शपथ पत्र: टेंडर लिंक केवल उन्हीं कंपनियों को मिलेगी, जो पाँच लाख रुपए का भुगतान करेंगी और यह शपथ पत्र देंगी कि वे आरएफपी (RFP) दस्तावेज़ को सार्वजनिक नहीं करेंगे।
भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका
- बिचौलियों की भूमिका: कर्मियों ने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन और ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन के साथ मिलकर की जा रही है। उनका कहना है कि यह एसोसिएशन नियमित रूप से निजी घरानों से संपर्क में है और निजीकरण में बिचौलियों की भूमिका निभा रहा है।
- भ्रष्टाचार विरोधी नीति के विपरीत: संघर्ष समिति ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति के बावजूद इतनी बड़ी सरकारी संपत्तियों को गुपचुप तरीके से बेचना गंभीर चिंता का विषय है। यदि यह योजना लागू होती है, तो यह देश के इतिहास में पहली बार होगा कि करोड़ों रुपए की संपत्तियों को इतनी गोपनीयता में बेचा जा रहा है।
आंदोलन में भागीदारी: विरोध प्रदर्शन में जूनियर इंजीनियर्स, संविदा कर्मी और अन्य बिजली कर्मचारी शामिल हुए। समिति ने दोहराया है कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण की योजना वापस नहीं ली जाती।



























































































































































































































































































































































































































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