बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। माना जा रहा है कि राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल छठ महापर्व के बाद बज सकता है। चुनाव आयोग की ओर से जल्द ही तारीखों का ऐलान किए जाने की संभावना है। छठ पर्व, जो बिहार और पूर्वांचल की आस्था का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है, नवंबर के शुरुआती हफ्ते में मनाया जाएगा। इसके तुरंत बाद चुनावी गतिविधियाँ गति पकड़ सकती हैं।
चुनावी तैयारियों में जुटे दल
सूत्रों के अनुसार, सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी रणनीतियाँ तैयार करनी शुरू कर दी हैं। सत्ताधारी गठबंधन जहाँ विकास और स्थिरता को मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने की योजना बना रहा है, वहीं विपक्ष महँगाई, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
छठ पर्व क्यों महत्वपूर्ण?
छठ पर्व के दौरान बिहार सहित देशभर में प्रवासी बड़ी संख्या में अपने घर लौटते हैं। चुनाव आयोग भी इस बात को ध्यान में रखता है कि त्योहार के दौरान वोटरों की आवाजाही प्रभावित न हो। यही वजह है कि त्योहार के बाद ही चुनावी कार्यक्रम घोषित किए जाने की संभावना अधिक है।
आयोग की रणनीति
चुनाव आयोग बिहार में सुरक्षा व्यवस्था, बूथ प्रबंधन और प्रशासनिक तैयारियों की समीक्षा कर रहा है। राज्य में चरणबद्ध मतदान कराए जाने की संभावना जताई जा रही है ताकि चुनाव शांतिपूर्ण और पारदर्शी हो सके।
सियासी बयानबाज़ी तेज
चुनाव की आहट मिलते ही नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। जहाँ सत्तापक्ष अपनी उपलब्धियों को गिनाने में जुटा है, वहीं विपक्ष जनता से बदलाव का आह्वान कर रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि छठ के बाद राज्य में चुनावी सरगर्मी चरम पर होगी।


























































































































































































































































































































































































































