भारत में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने अपनी रिपोर्ट में देश के विभिन्न हिस्सों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और महिलाओं के अधिकारों से जुड़े उल्लंघनों का ज़िक्र किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लोकतांत्रिक ढांचे में मानवाधिकारों का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि कई बार विरोध प्रदर्शन करने वालों पर सख्त कार्रवाई, इंटरनेट शटडाउन और पुलिस की ज्यादती जैसे मामलों ने चिंता को बढ़ा दिया है।
सरकार का पक्ष है कि सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है और किसी भी कदम को नागरिकों की सुरक्षा के लिए उठाया जाता है। हालांकि, विपक्ष और नागरिक संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि भारत में मानवाधिकार आयोग की भूमिका और मजबूत की जाए तथा हर मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।


























































































































































































































































































































































































































