जागृत भारत। भारत में टैक्स संरचना को लेकर बड़ा सुधार सामने आने वाला है। मौजूदा समय में वस्तु एवं सेवा कर (GST) चार अलग-अलग स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) पर लागू होता है। लेकिन अब केंद्र सरकार और GST काउंसिल इसे सरल बनाकर केवल दो दरों—5% और 18%—पर सीमित करने की तैयारी कर रही है।
यह बदलाव न सिर्फ टैक्स सिस्टम को आसान बनाएगा बल्कि उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ाने और त्यौहारी सीज़न में खपत को और मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
सितंबर में होगा अंतिम फैसला
GST काउंसिल, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करेंगी, 3-4 सितंबर 2025 को बैठक करेगी। उम्मीद है कि इसमें GST री-स्ट्रक्चरिंग पर अंतिम मुहर लग सकती है और यह बदलाव दिवाली 2025 से लागू हो सकता है।
सरकार का उद्देश्य है कि टैक्स ढांचे को इतना सरल बनाया जाए कि उपभोक्ता को सीधा लाभ मिले और कारोबारियों को जटिल अनुपालन (Compliance) से राहत।
उपभोक्ताओं की रणनीति: “रुक कर देखो”
फिलहाल हाई-टिकट प्रोडक्ट्स जैसे—एसी, फ्रिज, स्मार्टफोन और वॉशिंग मशीन—की डिमांड धीमी है। उपभोक्ता मान रहे हैं कि GST दरों में कमी के बाद ये उत्पाद 8-10% तक सस्ते हो सकते हैं।
उदाहरण: एक ₹1.20 लाख का स्मार्टफोन, टैक्स कटौती के बाद करीब ₹10,000 तक सस्ता मिल सकता है। यही वजह है कि लोग फिलहाल खरीदारी रोककर त्यौहारी ऑफर्स का इंतज़ार कर रहे हैं।
ई-कॉमर्स पर असर: अस्थायी मंदी, फिर तेज़ उछाल
Amazon, Flipkart, Meesho जैसी कंपनियों की मौजूदा बिक्री पर असर दिख रहा है। लेकिन जैसे ही नए GST स्लैब लागू होंगे, अक्टूबर-नवंबर की फेस्टिव सेल में 15-20% की भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
विशेषज्ञों की राय
- नवीन मालपानी (Grant Thornton Bharat): “अगर GST पर जल्द स्पष्टता नहीं आई तो हाई-वैल्यू प्रोडक्ट्स की बिक्री पर 25-30% तक असर पड़ सकता है।”
- शुभम निमकर (Counterpoint Research): “इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड अभी रुकी हुई है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में उछाल तय है।”
- साहिल गोयल (Shiprocket): “त्योहार भारतीय परिवारों के लिए भावनात्मक खरीदारी का समय है। GST कटौती उपभोक्ता भरोसा बढ़ाएगी।”
- राजनीश कुमार (Flipkart Group): “यह स्ट्रक्चरल रिफॉर्म खपत और अर्थव्यवस्था दोनों को गति देगा।”
राज्यों की चिंता: राजस्व घाटा
राज्य सरकारें इस कदम से राजस्व हानि को लेकर चिंतित हैं। अनुमान है कि टैक्स स्लैब घटने से सालाना ₹1.5–2 लाख करोड़ तक की कमी हो सकती है। इसी कारण काउंसिल की बैठक में राज्यों को मुआवज़ा (Compensation) पर भी गहन चर्चा होगी।
बीमा और अन्य सेक्टर पर असर
सूत्रों के मुताबिक, जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% GST हटाने पर भी विचार हो रहा है। उपभोक्ताओं के लिए यह राहत होगी, लेकिन बीमा कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है।
त्यौहार सीज़न: सबसे बड़ा रिटेल बूस्टर
भारत में दिवाली, नवरात्रि और दुर्गा पूजा जैसे त्योहार न सिर्फ धार्मिक पर्व हैं बल्कि रिटेल सेक्टर की वार्षिक कमाई का 25-30% हिस्सा इन्हीं महीनों में आता है।
GST दरों में कटौती से उपभोक्ताओं की जेब हल्की होगी और नए गैजेट्स व घरेलू सामान की खरीदारी का जोश और बढ़ेगा।
निष्कर्ष: छोटा विराम, बड़ा उछाल
- उपभोक्ता सस्ते दामों पर प्रोडक्ट खरीद पाएंगे।
- ई-कॉमर्स और रिटेल सेक्टर की बिक्री में तेजी आएगी।
- सरकार को लंबे समय में टैक्स कंप्लायंस और खपत बढ़ने से फायदा होगा।
- राज्यों के राजस्व घाटे को संतुलित करना सबसे बड़ी चुनौती रहेगा।
त्यौहारी सीज़न का उत्साह और टैक्स रिफॉर्म का असर मिलकर 2025 को भारत के रिटेल और ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए ऐतिहासिक साल बना सकते हैं।

















































































































































































































































































































































































































