नेपाल में मूसलाधार बारिश से आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचा दी है। अब तक 47 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है, जबकि कई जिलों में सड़कों, पुलों और घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। इस संकट की घड़ी में भारत ने नेपाल को तुरंत मदद का भरोसा दिलाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (5 अक्टूबर 2025) को कहा कि भारत हमेशा नेपाल का “पहला प्रतिक्रिया देने वाला देश” (First Responder) रहा है और प्राकृतिक आपदा के समय हर संभव सहायता प्रदान करेगा।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“नेपाल में भारी वर्षा से हुई जनहानि और नुकसान की खबरें दुखद हैं। इस कठिन समय में भारत, नेपाल की सरकार और जनता के साथ खड़ा है। एक मित्रवत पड़ोसी के रूप में, भारत हर आवश्यक मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
🌧️ नेपाल के कई जिलों में बाढ़ का कहर
नेपाल के मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि कोसी, तमोर, अरुण और सुनकोशी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। साथ ही छोटे नदी-नालों में भी अचानक बाढ़ (Flash Flood) की आशंका जताई गई है।
सबसे अधिक खतरे में इलाम, झापा, मोरंग, पांचथर, तेहरथुम, धनकुटा, सुनसरी, उदयपुर, सप्तरी, सिराहा और धनुषा जिले बताए जा रहे हैं। कई इलाकों में गांवों का संपर्क टूट गया है और हजारों लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
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🚨 उत्तर बिहार में भी खतरे का अलार्म
नेपाल में कोसी नदी के उफान ने भारत के उत्तर बिहार क्षेत्र में भी बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। यह नदी सीमापार बहती है और हर साल बिहार के कई जिलों में बाढ़ की मुख्य वजह बनती है। बिहार प्रशासन ने निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है और बचाव दलों को तैयार रखा गया है।
🤝 भारत की ओर से तत्काल मदद की तैयारी
भारत सरकार ने नेपाल को सहायता पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और मेडिकल टीमों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, राहत सामग्री, टेंट, पानी शुद्धिकरण उपकरण और दवाइयां भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
🌍 राजनीतिक अस्थिरता के बीच प्राकृतिक आपदा
नेपाल इस समय एक अंतरिम सरकार के अधीन है, जो पिछले महीने हुए ‘Gen-Z प्रदर्शन’ के बाद बनी थी। उस जन आंदोलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली की सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। अब बाढ़ संकट ने देश की प्रशासनिक और मानवीय स्थिति को और जटिल बना दिया है।
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🕊️ निष्कर्ष:
नेपाल एक बार फिर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है, लेकिन भारत ने अपनी पारंपरिक ‘पहले मददगार पड़ोसी’ की भूमिका निभाने का संकल्प दोहराया है। दोनों देशों की एजेंसियां मिलकर राहत और बचाव कार्यों को तेज करने में जुटी हैं, ताकि प्रभावित इलाकों में जल्द से जल्द सामान्य जीवन बहाल किया जा सके।



























































































































































































































































































































































































































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