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यमुना प्रदूषण बेकाबू: सभी प्रयास विफल, सरकार की योजना सवालों के घेरे में

Jagrut Bharat
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Yamuna pollution

नई दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट यमुना नदी की बिगड़ती स्थिति को लेकर एक गंभीर चेतावनी है। राजधानी की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना अब ज़हरीले नाले में तब्दील होती जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2025 में यमुना का BOD स्तर 127 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गया, जो स्वास्थ्यकर स्तर से 42 गुना ज्यादा है।

क्या है BOD और इसका मतलब क्या होता है?

BOD यानी Biochemical Oxygen Demand (जैविक ऑक्सीजन मांग) पानी में मौजूद ऑक्सीजन की उस मात्रा को दर्शाता है जो जैविक पदार्थों को विघटित करने के लिए जरूरी होती है। यदि BOD का स्तर अधिक है, तो यह दर्शाता है कि पानी में ऑक्सीजन की कमी है — यानी जलीय जीवन के लिए गंभीर खतरा।

स्वस्थ नदी के लिए आदर्श BOD स्तर: ≤ 3 mg/l
जनवरी 2025 में नजफगढ़ नाले के आउटफॉल पर: 127 mg/l


दिल्ली के प्रमुख प्रदूषण हॉटस्पॉट:

  1. नजफगढ़ नाला (Outfall):

    • जनवरी 2023: 53 mg/l

    • जनवरी 2025: 127 mg/l

  2. शाहदरा नाला, कालिंदी कुंज के पास:

    • जनवरी 2023: 56 mg/l

    • जनवरी 2025: 127 mg/l

  3. ISBT कश्मीरी गेट:

    • नवंबर 2023: 52 mg/l

    • दिसंबर 2024: 51 mg/l

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि नदी के लगभग सभी हिस्सों में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, खासकर उन जगहों पर जहां सीवेज सीधे यमुना में गिरता है।


2023 में उम्मीद की किरण, 2024 में फिर गिरावट

DPCC की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 के मध्य में थोड़ी सकारात्मक प्रगति देखने को मिली थी। कुछ क्षेत्रों में BOD स्तर में हल्की गिरावट आई थी, जिससे उम्मीद जगी थी कि शायद प्रयासों का असर दिख रहा है। लेकिन 2024 की शुरुआत से हालात फिर बिगड़ गए। बारिश की कमी, सीवेज ट्रीटमेंट की विफलता और नीतिगत कमज़ोरियों ने मिलकर यमुना की स्थिति को और भी खराब कर दिया।


रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य कारण क्या हैं?

1. कम वर्षा और कम प्रवाह:

2024 के मानसून में दिल्ली और ऊपरी हिमालयी क्षेत्रों में बारिश बेहद कम हुई। इससे यमुना में जल प्रवाह घटा और पानी में मौजूद प्रदूषक पतले नहीं हो पाए। परिणामस्वरूप नदी की स्व-सफाई क्षमता लगभग खत्म हो गई।

2. सीवेज ट्रीटमेंट की असफलता:

  • दिल्ली में रोज़ाना सीवेज उत्पादन: 792 MGD

  • मौजूदा STP की कुल क्षमता: 764 MGD

  • अंतर = 28 MGD गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के यमुना में जा रहा है

इतना ही नहीं, जो STP हैं, उनमें से कई पुरानी तकनीक पर आधारित हैं और पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे। कई प्लांट्स की आउटपुट गुणवत्ता निर्धारित मानकों से नीचे है।

3. शहरीकरण और अव्यवस्थित निर्माण:

यमुना के किनारे अवैध बस्तियों, अनियोजित ड्रेनेज और अवैज्ञानिक कचरा प्रबंधन ने भी नदी को और गंदा किया है। नालों में कचरा और प्लास्टिक के ढेर बहते हुए सीधे यमुना में मिल जाते हैं।


क्या है समाधान?

  • नए STP की स्थापना: दिल्ली जल बोर्ड (DJB) 12 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाने की योजना पर काम कर रहा है।

  • पुराने STP का उन्नयन: मौजूदा प्लांट्स को आधुनिक तकनीक से लैस करना अनिवार्य है।

  • प्राकृतिक प्रवाह बनाए रखना: यमुना में पर्याप्त पर्यावरणीय फ्लो बनाए रखने के लिए ऊपरी राज्यों से जल रिलीज की रणनीति जरूरी है।

  • जनभागीदारी: केवल सरकारी प्रयासों से कुछ नहीं होगा। सामुदायिक जागरूकता, स्वच्छता अभियानों और जिम्मेदार नागरिकता को बढ़ावा देना होगा।


नदी नहीं बची, तो शहर भी नहीं बचेगा

यमुना केवल एक नदी नहीं, दिल्ली के पारिस्थितिकी तंत्र की धुरी है। यह भूजल रिचार्ज, स्थानीय जलवायु नियंत्रण, और जैव विविधता के लिए आवश्यक है। अगर यमुना को अब नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए पीने का साफ पानी भी एक सपना बन जाएगा।

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