कानपुर। मोबाइल की स्क्रीन पर घंटों सिर झुकाकर देखने की आदत अब लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रही है। कानपुर पीजीआई के पेन मेडिसिन विभाग में बड़ी संख्या में मरीज कंधे जाम और फ्रोजन शोल्डर जैसी शिकायतों के साथ पहुंच रहे हैं। इनमें कई युवा और अब बच्चे भी शामिल हैं। विभाग ने इस पर एक अध्ययन किया है, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
मोबाइल की वजह से बिगड़ रही स्पाइनल डिस्क
पेन मेडिसिन विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में 18 से 65 वर्ष तक के 100 मरीजों को शामिल किया गया। इनमें से 32 प्रतिशत मामलों में यह पाया गया कि घंटों तक मोबाइल की स्क्रीन देखने और सिर झुकाए रहने की वजह से सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस की समस्या उत्पन्न हो रही है। इससे स्पाइनल कॉर्ड की डिस्क खिसक रही है, खासकर C4, C5 और C6 की, जिससे कंधा जाम हो जाता है और मरीज को हाथ उठाने या घुमाने में कठिनाई होती है।
एमआरआई से हुआ बड़ा खुलासा
विभाग प्रमुख डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि इन मरीजों की एमआरआई जांच में कंधे में कोई विशेष समस्या नहीं पाई गई। लेकिन जब स्पाइनल कॉर्ड की जांच की गई, तो पता चला कि स्लिप डिस्क के चलते तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ रहा है, जिससे कंधे की चाल और उसकी गति प्रभावित हो रही है। इस स्थिति को सर्वाइकल रेडिकुलर सिंड्रोम भी कहा जाता है। मरीजों में अक्सर झनझनाहट और संवेदनशीलता की कमी भी देखने को मिली।
बच्चे भी आ रहे चपेट में
चौंकाने वाली बात यह है कि 10 से 11 साल के बच्चे भी इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, छोटे बच्चे भी अब घंटों मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, जिससे उनके कंधों में जकड़न और गति में रुकावट आ रही है।
आगे होगा बड़ा शोध
डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि यह अपनी तरह का देश का पहला अध्ययन है, जो मोबाइल उपयोग और सर्वाइकल समस्याओं के बीच सीधा संबंध दर्शाता है। अब विभाग इस दिशा में और विस्तृत शोध करने जा रहा है ताकि मोबाइल स्क्रीन देखने की आदत से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को गहराई से समझा जा सके।
अगर आप या आपके बच्चे भी लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं और गर्दन या कंधे में जकड़न महसूस करते हैं, तो सतर्क हो जाइए। वक्त रहते सावधानी बरतना ही बेहतर इलाज है।
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