प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को चार दिवसीय विदेशी दौरे के लिए रवाना हो गए हैं। यह यात्रा 15 से 19 जून 2025 तक चलेगी, जिसमें वे तीन देशों — साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया — का दौरा करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी कुल 27,745 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को भारत की रणनीतिक साझेदारियों को और मजबूत करने की दिशा में अहम बताया है।
साइप्रस से होगी यात्रा की शुरुआत
पीएम मोदी अपने दौरे की शुरुआत साइप्रस से करेंगे, जहां वे राजधानी निकोसिया में राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स से मुलाकात करेंगे और लिमासोल में भारतीय और साइप्रसी व्यवसायियों को संबोधित करेंगे।
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मोदी, साइप्रस की यात्रा करने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे।
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इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने वहां दौरा किया था।
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भारत-साइप्रस संबंध राजनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं।
2015 तक साइप्रस में करीब 2,700 भारतीय रहते थे, जो अब बढ़कर लगभग 11,500 हो गए हैं। भारत का योग और आयुर्वेद वहां काफी लोकप्रिय हैं।
इस यात्रा को IMEC (India-Middle East-Europe Corridor) में साइप्रस की संभावित भागीदारी और तुर्की को कूटनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है।
कनाडा में G-7 सम्मेलन में होंगे शामिल
पीएम मोदी साइप्रस के बाद कनाडा के कनानास्किस, अल्बर्टा में आयोजित G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जो 16-17 जून को आयोजित हो रहा है।
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यह भारत की लगातार छठी G-7 भागीदारी होगी।
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सम्मेलन में ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और महत्वपूर्ण खनिज जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।
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पीएम मोदी आउटरीच सत्र में भाग लेंगे और कई विश्व नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
यह यात्रा भारत-कनाडा संबंधों में सुधार का अवसर भी हो सकती है, जो हाल के वर्षों में खालिस्तान मुद्दे को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं।
क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा
18 जून को पीएम मोदी क्रोएशिया पहुंचेंगे।
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यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली आधिकारिक यात्रा होगी।
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पीएम मोदी क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच और राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच से मुलाकात करेंगे।
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यह यात्रा भारत-ईयू रिश्तों को मजबूती और IMEC के लिए यूरोपीय समर्थन की दिशा में अहम मानी जा रही है।
क्रोएशिया की समुद्री रणनीतिक स्थिति और एड्रियाटिक सागर पर बंदरगाहों को देखते हुए यह भारत के लिए एक अहम साझेदार बन सकता है। इस यात्रा में व्यापार, निवेश, पर्यटन, विज्ञान और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत के वैश्विक कूटनीतिक प्रभाव को सशक्त करने, रणनीतिक साझेदारियों को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
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