प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जून से अपने तीन देशों की विदेश यात्रा की शुरुआत साइप्रस से कर दी है। यह दौरा 15 से 19 जून तक चलेगा, जिसमें वे साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया का दौरा करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी कनाडा में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। यह यात्रा भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और हाल ही में संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा है, जो कूटनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
साइप्रस यात्रा: दो दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी जब साइप्रस पहुंचे, तो वहां राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स ने स्वयं एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। मोदी ने सोशल मीडिया पर स्वागत की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को व्यापार, निवेश और सहयोग के नए स्तर पर ले जाएगी।
लिमासोल में भारतीय समुदाय ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया और ‘भारत माता की जय’ के नारों से वातावरण गूंज उठा।
भारत के उच्चायुक्त मनीष ने बताया कि यह दौरा ऐतिहासिक है क्योंकि यह 23 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा है। इस दौरान ट्रेड, टेक्नोलॉजी, टूरिज्म और डिफेंस जैसे क्षेत्रों में समझौतों की उम्मीद है।
यह दौरा तुर्की को भी एक कूटनीतिक संदेश माना जा रहा है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का खुला समर्थन किया था।
कनाडा में G-7 सम्मेलन: 16–17 जून
साइप्रस के बाद पीएम मोदी कनाडा के कनानास्किस, अल्बर्टा में होने वाले G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यह भारत की लगातार छठी G-7 भागीदारी है, जो देश की वैश्विक स्थिति को दर्शाता है।
सम्मेलन में ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाइमेट और खनिज संसाधनों जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। पीएम मोदी विभिन्न वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकातें भी करेंगे।
यह दौरा भारत-कनाडा संबंधों में सुधार का संकेत भी हो सकता है, जो खालिस्तानी गतिविधियों और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर हाल में तनावपूर्ण रहे हैं।
क्रोएशिया यात्रा: 18 जून को ऐतिहासिक पड़ाव
यात्रा के अंतिम चरण में पीएम मोदी 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक क्रोएशिया यात्रा होगी।
इस दौरान वे प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच और राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच से मुलाकात करेंगे। यह यात्रा IMEC परियोजना, व्यापार, विज्ञान, पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगी।
क्रोएशिया की भौगोलिक स्थिति, विशेष रूप से एड्रियाटिक सागर पर स्थित बंदरगाह, भारत के लिए यूरोपीय बाजारों में प्रवेश के दृष्टिकोण से अहम मानी जा रही है।
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