जागृत भारत (देवरिया ) IRDAI जैसी सर्वोच्च संस्था की निष्क्रियता और निगरानी की कमी का फायदा उठाकर कई बीमा कंपनियाँ ग्राहकों के वैध दावों को अस्वीकार कर रही हैं और अपने कर्मचारियों द्वारा पॉलिसीधारकों का आर्थिक और मानसिक शोषण करवा रही हैं। इसका हालिया उदाहरण HDFC ERGO General Insurance से जुड़ा मामला है।
देश में बीमा लेने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। ग्राहक अपनी मेहनत की कमाई से वाहन, जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं ताकि संकट के समय उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सके। लेकिन जब इन पॉलिसियों का लाभ लेने का समय आता है, तो बीमा कंपनियों द्वारा दावे अस्वीकार करने, अनावश्यक अड़चनें डालने और ग्राहक को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। इसका ताजा उदाहरण एक प्रतिष्ठित बीमा कंपनी HDFC ERGO General Insurance से जुड़ा है, जहाँ एक पॉलिसीधारक ने दोगुनी प्रीमियम राशि चुकाकर वाहन की ज़ीरो डिप्रीसिएशन पॉलिसी ली थी। दुर्घटना की स्थिति में वैध क्लेम करने के बावजूद न केवल बार-बार स्पष्टीकरण माँगा गया बल्कि कंपनी के सर्वेयर और प्रतिनिधियों द्वारा ग्राहक के साथ असभ्य, अपमानजनक और धमकी भरा व्यवहार भी किया गया। क्लेम प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की गई, अतिरिक्त सबूत (जैसे कि दुर्घटना का वीडियो या फोटो) माँगे गए, जो व्यवहारिक रूप से संभव नहीं हैं। जब पॉलिसीधारक ने इस व्यवहार की शिकायत की, तो कंपनी के प्रतिनिधि ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि यदि उन्हें पहले से पता होता कि ग्राहक शिकायत करेगा, तो क्लेम कभी पास नहीं किया जाता—even अगर वह सही भी हो।
यह घटना केवल एक ग्राहक की नहीं है, बल्कि बीमा सेक्टर की उस गंभीर बीमारी को दिखाती है जिसमें ग्राहक के अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई नहीं है। IRDAI जैसी संस्था का उद्देश्य बीमा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है, लेकिन ऐसे मामलों में उनकी चुप्पी और कार्यवाही की कमी ने बीमा कंपनियों को मनमानी करने का खुला अवसर दे दिया है।
यह घटनाक्रम कई चिंताजनक सवाल खड़े करता है:
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क्या IRDAI जैसी संस्था अपनी जिम्मेदारी निभा रही है?
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क्या बीमा कंपनियाँ ग्राहकों के वैध दावों को जानबूझकर रोकेगीं ताकि उन्हें क्लेम राशि न देनी पड़े?
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क्या पॉलिसीधारक महंगे प्रीमियम चुकाकर भी मानसिक शोषण सहने को मजबूर रहेंगे?
हर वह ग्राहक जो बीमा पॉलिसी ले रहा है, उसके लिए यह घटना एक गंभीर चेतावनी है। IRDAI के मौन रवैये का फायदा उठाकर बीमा कंपनियाँ ग्राहकों को धमकाने, डराने और उनके वाजिब दावों को अस्वीकार करने का साहस कर रही हैं।
यह आवश्यक है कि IRDAI न केवल इस घटना का संज्ञान ले बल्कि सभी बीमा कंपनियों पर यह स्पष्ट निर्देश दे कि ग्राहक के अधिकारों की अनदेखी करने वाली हर कंपनी और उसके कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। अन्यथा आने वाले समय में बीमा उद्योग में उपभोक्ताओं का भरोसा पूरी तरह खत्म हो सकता है।
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