जागृत भारत | लखनऊ(Lucknow): उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल के समग्र और संतुलित विकास की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यूपी कैबिनेट ने राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) की तर्ज पर काशी-विंध्य क्षेत्र (KVR) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत पूर्वी यूपी के सात प्रमुख जिलों को एकीकृत आर्थिक विकास क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
इन सात जिलों को मिलाकर बनेगा काशी-विंध्य क्षेत्र
काशी-विंध्य क्षेत्र में वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र को शामिल किया गया है। इन सभी जिलों को एक साझा आर्थिक गतिविधि जोन के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय असमानता दूर हो सके और विकास को नई गति मिले।
विकास को मिलेगी रफ्तार, रोजगार के खुलेंगे नए रास्ते
प्रस्ताव के अनुसार, केवीआर के गठन से इन सात जिलों में गुणवत्तापूर्ण नागरिक सुविधाओं का विस्तार होगा। सुनियोजित विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। काशी-विंध्य क्षेत्र की मौजूदा आबादी करीब दो करोड़ बताई जा रही है, जिसे आधुनिक अधोसंरचना और आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा जाएगा।
सरकार पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त वित्तीय बोझ
सरकार के अनुसार, केवीआर के विकास से राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आएगा। काशी-विंध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का कुल दायरा 23,815 वर्ग किलोमीटर होगा। इसमें
वाराणसी – 1535 वर्ग किमी
जौनपुर – 4038 वर्ग किमी
चंदौली – 2541 वर्ग किमी
गाजीपुर – 3377 वर्ग किमी
मिर्जापुर – 4521 वर्ग किमी
भदोही – 1015 वर्ग किमी
सोनभद्र – 6788 वर्ग किमी
इनमें सबसे अधिक क्षेत्रफल सोनभद्र का है, जबकि सबसे कम भदोही का।
नीति आयोग के सुझावों पर होगा विकास
नीति आयोग ने काशी और विंध्य क्षेत्र के सतत विकास के लिए सरकार को अपने सुझाव दिए हैं, जिनके आधार पर इस क्षेत्र का दीर्घकालिक विकास मॉडल तैयार किया जाएगा।
सीएम होंगे अध्यक्ष, प्रमुख सचिव बनेंगे सीईओ
केवीआर की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जबकि प्रमुख सचिव आवास को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बनाया जाएगा।
वाराणसी के मंडलायुक्त – सदस्य सचिव
विंध्याचल के आयुक्त – सदस्य
इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को भी सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा।
मास्टर प्लान को केवीआर ही देगा मंजूरी
अब काशी-विंध्य क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी सात जिलों के सुनियोजित विकास का मास्टर प्लान केवीआर के स्तर पर ही तैयार और स्वीकृत किया जाएगा। इसके लिए शासन से अलग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। एक-दो दिनों में इसके गठन की अधिसूचना जारी की जाएगी।
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